हरि दर्शन की प्यासी अंखियाँ भजन लिरिक्स

हरी दर्शन की प्यासी अखियां” एक हृदय को छू लेने वाला भक्ति भजन है, जो भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन की तीव्र लालसा को अभिव्यक्त करता है। सूरदासजी जैसे संतों की वाणी में गहराई, प्रेम और विरह का ऐसा संगम है कि प्रत्येक शब्द आत्मा को छू जाता है। इस भजन में भक्त की आँखें न केवल रोती हैं, बल्कि प्रभु की झलक पाने को तड़पती हैं। वृंदावन की गलियों, मोतियों की माला और केसर तिलक जैसे प्रतीकों के माध्यम से यह भजन हमें उस प्रेम की अनुभूति कराता है, जो केवल सच्चे भक्त और भगवान के बीच होता है।

🎶 Full Bhajan Lyrics

  हरी दर्शन की प्यासी अखियां, देख्यो चाहत कमल नयन को, निस दिन रेहत उदासी अखियां, हरी दर्शन की प्यासी अखियां केसर तिलक मोतियन की माला, वृद्धावन के वासी, नेह लगाए त्याग गए तन सम, डाल गये गल फांसी अखियां, हरी दर्शन की प्यासी अखियां काहू के मन की को जानत, लोगन के मन हासी, सूरदास प्रभु तुम्हरे दर्श बिन लेहो करवट कासी अखियां, हरी दर्शन की प्यासी अखियां

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हरी दर्शन की प्यासी अखियां” न सिर्फ एक भजन है, बल्कि आत्मा की पुकार है—उस परमात्मा के लिए जिसने जीवन को दिशा दी है। सूरदासजी की दृष्टिहीनता के बावजूद उनकी आंखों में जो दर्शन की ललक थी, वह इस रचना में झलकती है। जब यह भजन गाया जाता है, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो भक्त का हृदय स्वयं प्रभु से मिलने को आतुर हो उठा हो। यह भजन हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम किसी रूप, रूपरेखा या अवस्था का मोहताज नहीं होता—वह केवल समर्पण का स्वरूप होता है।

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